बुद्ध शिष्य आनंद और वैश्या की कहानी (Buddh shishya Anand aur vaishya ki kahani)

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एक समय था जब भगवान बुद्ध की शरण में दीक्षा ले रहे भिक्षुओं को कई नियमों का पालन करना पड़ता था। वे (भिक्षु) किसी के भी घर तीन दिन तक ही रुक सकते थे। यह नियम स्वयं गौतम बुद्ध ने बनाया था। इस नियम का तात्पर्य यह था कि उनकी सेवा में लगे लोगों को किसी तरह की कोई दिक्कत न पहुंचे। बुद्ध और उनके भिक्षु जब यात्राओं पर निकलते थे, तो वे रास्ते में आने वाले अक्सर गरीब घरों में ही शरण लेते थे। वे इन घरों में अधिकतम तीन दिनों तक रुकने के बाद अगली यात्रा पर निकल जाते थे। एक समय की बात है वे इसी तरह यात्रा के दौरान एक गांव पहुंचे। बुद्ध और उनके शिष्य अपने रहने के लिए जगह ढूंढ रहे थे। बुद्ध के शिष्य आनंद को एक बहुत ही खूबसूरत वेश्या ने अपने घर रहने को आमंत्रित किया। आनंद ने उसे कहा कि वह उसके घर बुद्ध के अनुमति लेकर ही रह सकता है। वैश्या युवती ने वासना भारी श्वर में कही- क्या  तुम्हें इसके लिए सचमुच अपने गुरू से अनुमति लेनी होगी? मैं जानता हूं कि वह मेरे बात मान जाएंगे लेकिन उनसे पूछना मेरा कर्तव्य बनता है। आनंद ने बुद्ध से पूछा- हे बुद्ध! इस गांव में...

भगवान बुद्ध के घुंघराले बाल (Bhagwan Buddh ke ghunghrale Baal)

गौतम बुद्ध, जिनसे बौद्ध धर्म की शुरुआत हुई। आज धर्म दुनिया के सबसे पुराने और सबसे मशहूर धर्मों में से एक है। आज बौद्ध धर्म के करोड़ो अनुयायी हैं जो इसका प्रचार-प्रसार करने में लगे हुए हैं। आपको पूरी दुनिया में भगवान गौतम बुद्ध की हज़ारों-लाखों प्रतिमाएं देखने को मिल जाएंगी जो बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक होती हैं। कई प्रतिमाएं तो ऐसी हैं जिन्हे यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट की सूची तक में जगह मिली हुई है। भगवान बुद्ध के बारे में बात करें तो उनकी प्रतिमाएं बहुत आकर्षक होती हैं।

 कहीं उनकी साधना करने वाली प्रतिमा मिलती हैं तो कहीं ध्यान करने वाली। सभी प्रतिमाएं अपने आपमें एकदम निराली हैं। खैर, इन सभी प्रतिमाओं में एक चीज सामान्य है और वह है गौतम बुद्ध की हर प्रतिमा में नजर आने वाले उनके घुंघराले बाल। इसके पीछे की असली कहानी जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

गौतम बुद्ध के बालों का रहस्य- गौतम बुद्ध की हर प्रतिमा में जो आप घुंघराले बाल देखते हैं वह असल में बाल है ही नहीं। जी हाँ, अब आप सोच रहे होंगे कि फिर वह आखिर क्या हैं...? जी दरअसल, गौतम बुद्ध के सिर पर जो घुंघराले बालों जैसे दिखाई देते हैं वह बाल नहीं बल्कि ढेर सारे घोंघे (snails) हैं।

 हम आपको इसके पीछे के भी रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं।
आत्मज्ञान की प्राप्ति हेतु बौद्ध भिक्षु करवाते हैं मुंडन - बौद्ध धर्म के त्रिपिटक में से विनयपिटक ग्रंथ में बहुत से दिशा-निर्देश लिखे हुए हैं। इन दिशा-निर्देशों को माने तो इनमे लिखा हुआ है आत्मज्ञान को प्राप्त करने के लिए मनुष्य का तन और मन दोनों ही बिलकुल पवित्र होने चाहिए। इन दिशा निर्देशों को मानते हुए बौद्ध भिक्षु अपने तन की पवित्रता के लिए अपने सिर का मुंडन करवा लेते हैं।  सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने भी यही किये थे। उन्होंने जब अपने राज्य का त्याग किया था तो उसी दौरान उन्होंने भी अपना मुंडन करवा लिया था।

कैसे गौतम बुद्ध के सिर पर आए घोंघे- कहा जाता है एक बार जब गौतम बुद्ध ध्यान में मग्न थे। उस दौरान वह पेड़ के नीचे बैठे थे और साधना कर रहे थे। साधना करते-करते वह इतने अधिक ध्यान में लीन हो गए कि उन्हें बाहर के बारे में कुछ पता ही नहीं रहा। जिस समय गौतम बुद्ध साधना में लीन थे उस समय मौसम काफी गर्मी का था और सूरज ठीक गौतम बुद्ध के सिर के ऊपर था। इस दौरान भी गौतम बुद्ध कड़ी तपस्या में लगे हुए थे। इसी बीच गौतम बुद्ध के पास से एक घोंघा निकलने लगा और उसकी नजर पड़ी साधना में लीन भगवान बुद्ध पर। गौतम बुद्ध को इस रूप में देखकर घोंघा रुका और वह सोचने लगा कि इतनी अधिक गर्मी में भी वह कैसे साधना में लीन है। घोंघे ने सोचा इनके सिर पर तो बाल भी नहीं है, इस वजह से इनको बहुत गर्मी भी लग रही होगी। यह सब सोच विचार करने के बाद घोंघा गौतम बुद्ध के शरीर पर रेंगते हुए उनके सिर तक पहुंच गया। उसके बाद उसने अपने मन में सोचा कि 'अगर मैं गौतम बुद्ध के सिर पर रहूंगा तो उनको गर्मी का अहसास कम होने लगेगा। यह सोचकर वह वही (बुद्ध के सिर पर) ठहर गया। उसे देखने के बाद बहुत से घोंघे उसके पीछे-पीछे गौतम बुद्ध के सिर पर चढ़ गए। इस तरह 108 घोंघे गौतम बुद्ध को गर्मी से बचाने के लिए उनके सिर पर बैठे रहे और इस तरह उनकी जान चली गई। कहा जाता है भगवान बुद्ध को आत्मज्ञान दिलवाने में इन 108 घोंघों ने अपनी जान दे दी। अपनी अहम भूमिका के लिए इन 108 घोंघों को महत्वपूर्ण माना जाता है।

स्नेल- यह लचीले शरीर वाले जानवर हैं और इनमे नमी होती है। इन्हे जब भी पकड़ा जाए तो ठंडक का अहसास होता है। अपनी इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए घोंघे गौतम बुद्ध को गर्मी से बचाने के लिए उनके ऊपर बैठ गए और अपने प्राण त्याग दिए। आज गौतम बुद्ध की मूर्तियों के सिर पर जो घुंघराले बाल जैसी आकृति बनाई जाती है वह असल में घोंघे हैं।

इसके अलावा एक और भी कहानी है - कुछ लोगों का यह मानना है कि जब गौतम बुद्ध साधना में लीन हुए तो उनके बाल बढ़ गए थे। उस दौरान जब भयंकर गर्मी आई तो गौतम बुद्ध के सिर के सारे बाल जल गए और सभी घुंघराले आकार के हो गए। ये बात आप जानते होंगे, आज भी विश्व के ऐसे कई गर्म इलाके हैं जहाँ लोगों के बाल जलकर घुंघराले हो जाते है। इसी को आधार मानते हुए आज कई लोग इस कहानी पर विश्वास करते हैं।
इन दोनों घटनाओं की सच्चाई- इन दोनों कहानियों में से कौन से कहानी सत्य है इसके संदर्भ में अभी तक कुछ कहा नहीं जा सकता है। सभी की अपनी-अपनी राय है। वैसे आपको कौन सी घटना उचित लगा। जरूर विचार कीजिएगा। धन्यवाद!

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