बुद्ध शिष्य आनंद और वैश्या की कहानी (Buddh shishya Anand aur vaishya ki kahani)

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एक समय था जब भगवान बुद्ध की शरण में दीक्षा ले रहे भिक्षुओं को कई नियमों का पालन करना पड़ता था। वे (भिक्षु) किसी के भी घर तीन दिन तक ही रुक सकते थे। यह नियम स्वयं गौतम बुद्ध ने बनाया था। इस नियम का तात्पर्य यह था कि उनकी सेवा में लगे लोगों को किसी तरह की कोई दिक्कत न पहुंचे। बुद्ध और उनके भिक्षु जब यात्राओं पर निकलते थे, तो वे रास्ते में आने वाले अक्सर गरीब घरों में ही शरण लेते थे। वे इन घरों में अधिकतम तीन दिनों तक रुकने के बाद अगली यात्रा पर निकल जाते थे। एक समय की बात है वे इसी तरह यात्रा के दौरान एक गांव पहुंचे। बुद्ध और उनके शिष्य अपने रहने के लिए जगह ढूंढ रहे थे। बुद्ध के शिष्य आनंद को एक बहुत ही खूबसूरत वेश्या ने अपने घर रहने को आमंत्रित किया। आनंद ने उसे कहा कि वह उसके घर बुद्ध के अनुमति लेकर ही रह सकता है। वैश्या युवती ने वासना भारी श्वर में कही- क्या  तुम्हें इसके लिए सचमुच अपने गुरू से अनुमति लेनी होगी? मैं जानता हूं कि वह मेरे बात मान जाएंगे लेकिन उनसे पूछना मेरा कर्तव्य बनता है। आनंद ने बुद्ध से पूछा- हे बुद्ध! इस गांव में...

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ:-
हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान की दूर करने वाला हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाए। 
गायत्री महामंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है, जिसकी महत्ता ॐ के बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मन्त्र 'ॐ भूर्भुवः स्वः' और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। इस मंत्र की रचना विश्वामित्र ने की थी। यह मंत्र 24 अक्षरों से मिलकर बना है। कहा जाता है कि इन 24 अक्षरों में चौबीस अवतार, चौबीस ऋषि, चौबीस शक्तियां, चौबीस सिद्धियां और चौबीस शक्ति बीज भी शामिल हैं। इस मंत्र के जाप से इन सभी शक्तियों का लाभ और सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसके शुद्ध तरीके और नियमानुसार जाप करने से जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है।
संकल्प शक्ति चेतन सत्- संभव होने से ब्रह्मा की पुत्री है। परमाणु शक्ति स्थूल क्रियाशील एवं तम- संभव होने से ब्रह्मा की पत्नी है। इस प्रकार गायत्री और सावित्री ब्रह्मा की पुत्री तथा पत्नी नाम से प्रसिद्ध हुईं।
रविवार का दिन सूर्य भगवान और माँ गायत्री की पूजा उपासना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन गायत्री मंत्र का जप करने से विद्या, बुद्धि और सदज्ञान की प्राप्ति के साथ अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। रविवार के दिन गायत्री मंत्र के जप के बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने से सभी कार्य सिद्ध होती है।

नारी को इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
अधिकांश मामलों में, यह शरीर में हार्मोन संबंधी गड़बड़ी पैदा कर सकता है और उनके मासिक धर्म चक्र को बाधित कर सकता है और इसे पांच दिनों से अधिक भी बढ़ा सकता है ! दुर्लभ मामलों में, जो महिला इनका बार-बार जाप करती है, उसमें मर्दाना चरित्र विकसित होता है जिससे चेहरे पर बाल उगने लगते हैं।
 यह सबसे शक्तिशाली वैदिक मंत्रों में से एक है। " भूर् भुवः स्वः " अस्तित्व के तीन स्तर, भौतिक प्रकृति के तीन गुण और तीन प्रकार की चेतना है। अर्थात् सवितुर का अर्थ है कोई दीप्तिमान; यह सूर्य का भी नाम है; वरेन्यामिस पूजा के योग्य हैं। मंत्र का जाप ज्यादा बार नहीं कर सकते तो कम से कम 108 बार अवश्य करना चाहिए। संस्कृत में गायत्री का अर्थ है "भजन" या "गीत" । यह शब्द आमतौर पर योग में हिंदू देवी, गायत्री और उनके संबंधित मंत्र, प्रसिद्ध गायत्री मंत्र के नाम के रूप में सुना जाता है। गायत्री ज्ञान, शिक्षा और सदाचार की देवी है। वह ब्रह्मा की पत्नियों में से एक हैं।

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