बुद्ध शिष्य आनंद और वैश्या की कहानी (Buddh shishya Anand aur vaishya ki kahani)

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एक समय था जब भगवान बुद्ध की शरण में दीक्षा ले रहे भिक्षुओं को कई नियमों का पालन करना पड़ता था। वे (भिक्षु) किसी के भी घर तीन दिन तक ही रुक सकते थे। यह नियम स्वयं गौतम बुद्ध ने बनाया था। इस नियम का तात्पर्य यह था कि उनकी सेवा में लगे लोगों को किसी तरह की कोई दिक्कत न पहुंचे। बुद्ध और उनके भिक्षु जब यात्राओं पर निकलते थे, तो वे रास्ते में आने वाले अक्सर गरीब घरों में ही शरण लेते थे। वे इन घरों में अधिकतम तीन दिनों तक रुकने के बाद अगली यात्रा पर निकल जाते थे। एक समय की बात है वे इसी तरह यात्रा के दौरान एक गांव पहुंचे। बुद्ध और उनके शिष्य अपने रहने के लिए जगह ढूंढ रहे थे। बुद्ध के शिष्य आनंद को एक बहुत ही खूबसूरत वेश्या ने अपने घर रहने को आमंत्रित किया। आनंद ने उसे कहा कि वह उसके घर बुद्ध के अनुमति लेकर ही रह सकता है। वैश्या युवती ने वासना भारी श्वर में कही- क्या  तुम्हें इसके लिए सचमुच अपने गुरू से अनुमति लेनी होगी? मैं जानता हूं कि वह मेरे बात मान जाएंगे लेकिन उनसे पूछना मेरा कर्तव्य बनता है। आनंद ने बुद्ध से पूछा- हे बुद्ध! इस गांव में...

एक बुद्धिमान चूहा



 एक बार एक बिल्ली थी, वो बहुत ही चालाक और चौकस थी और उसकी इसी चालाकी और चौकसी को देखकर चूहे भी सावधान हो गये थे और अब चूहे बिल्ली के हाथ नहीं आ रहे थे।एक समय ऐसा आया कि बिल्ली भूख के मारे तड़पने लगी। एक भी चूहा उसके हाथ नहीं आता था, क्योंकि वो उसकी आहट सुनते ही तेज़ी से अपने बिल में छुप जाते थे।



भूख से बचने के लिए बिल्ली योजना बनाने लगी। तभी उसके दिमाग में कुछ आया और वो एक टेबल पर उल्टी लेट गई। उसने सभी चूहों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वो मर चुकी है।सारे चूहे बिल्ली को ऐसे लेटा हुआ अपने बिल से ही देख रहे थे। उन्हें पता था कि बिल्ली बहुत चालाक है, इसलिए उनमें से कोई भी चूहा अपने बिल से बाहर नहीं आया।लेकिन, बिल्ली भी हार मानने वालों में से नहीं थी। वो बहुत देर तक उसी टेबल पर उल्टी लेटी रही। 


धीरे-धीरे चूहों को लगने लगा कि बिल्ली मर चुकी है। वो जश्न मनाते हुए अपने बिल से निकलने लगे।चूहे जैसे ही बिल्ली की टेबल के पास पहुँचे, उसने उछलकर दो चूहे पकड़ लिए। इस तरह बिल्ली ने इस बार तो अपने पेट को भर लिया, लेकिन चूहे अब और भी ज़्यादा सतर्क हो गए।दो चूहे खाने के बाद बिल्ली दोबारा भूख से तड़पने लगी, क्योंकि चूहे अब बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतना चाहती थी।इस बार पेट भरने के लिए एक बार फिर बिल्ली को योजना बनानी थी। लेकिन, इस बार छोटी योजना काम नहीं आने वाली थी।


 इसलिए, बिल्ली ने अब खुद को पूरे आटे से ढक लिया।चूहों ने सोचा कि वह आटा है और उसे खाने के लिए आ गए। लेकिन एक बूढ़े चूहे ने उन्हें रोक दिया। उसने ध्यान से आटा देखा, तो उसे उसमें बिल्ली का आकार दिखने लगा।तभी बूढ़े चूहे ने हल्ला मचाना शुरू किया। उसने कहा, “सब अपने बिल में चले जाओ। यहाँ आटे में बिल्ली छुपी है।” बूढ़े चूहे की बात सुनकर सारे चूहे अपने बिल में चले गए।जब बहुत देर तक एक भी चूहा बिल्ली के पास नहीं पहुँचा, तब बिल्ली थकने की वजह से उठ गई। इस तरह बूढ़े चूहे ने अपने अनुभव से सारे चूहों की जान बचा ली।


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